जब कम्बल फिसल गया तो मेरी कसी हुई चूत ने अनजाने में ही मेरे सौतेले भाई के लौड़े को अपने अंदर समा लिया.मैं अनभिज्ञ होकर कल्पना के मैदान में खोई हुई शांत होती रही.अचानक हकीकत से टकराई- मेरी बुर भर गयी.एक निषिद्ध वर्जित को प्रज्वलित करते हुए डर और इच्छा आपस में गुंथ गये.