ऋषि की वासनापूर्ण कल्पनाएँ प्रज्वलित होती हैं क्योंकि उसका प्रेमी उसे चिढ़ाता है, उसकी पाने की इच्छा को प्रज्वलत करता है। उसका पतला शरीर उसके छंटे हुए खजाने की खोज करते हुए उसके मुँह में कुलबुलाता है। चरमोत्कर्ष, उसके चेहरे पर गर्म भार, उसकी गंदी कल्पनाओं को पूरा करता है।